Shak Shayri : शक; एक छोटा सा शब्द है पर ये शब्द किसी भी रिश्ते को तोड़ने के लिए काफी है, दोस्तों इसकी गहराई में छुपे जज़्बात अक्सर रिश्तों की नींव को हिला देते हैं। यह शायरी के जरिए हम उन्हीं जज़्बातों को शब्दों में पिरोने की कोशिश करते हैं। दो लाइनों में सिमटी ये शायरियाँ न सिर्फ दिल की गहराइयों को छूती हैं, बल्कि शक के उस अंधेरे को भी रोशन करती हैं जो कभी-कभी हमारे अंदर पनपता है। यहां हमने आपके लिए चुनिंदा और सबसे अलग शक शायरी आपके लिए पेश किया है। आप इसे उनके साथ जरूर शेयर करें जिसको आप पे शक है ।
शक ने दिल की राहों को बेकरार कर दिया
तेरे हर सवाल ने मुझे गुनहगार कर दिया।
तेरे शक की आग में जलता रहा मैं हर रात
तूने तो खेल समझा, मेरी जिंदगी की बात।

शक की दीवारों ने घेर लिया है हमें
ना तू समझा, ना मैंने समझाया है तुम्हें।

शक ने तोड़ दिया हर वो ख्वाब
जो तेरे प्यार में देखा था मैंने ख्वाब।
शक ने घेरा है जब से, दिल ने सुकून को खो दिया।
तेरी एक नजर का फेरा, मेरी हस्ती ने रो दिया।
तेरे शक की आग में, मेरे प्यार का दिया जला।
तूने जो ना समझा मुझे, मैंने वो दर्द छुपा रखा।

शक की नजरों ने, दिल के रिश्ते को तोड़ दिया।
जो था कभी अपना, उसने ही मुझे छोड़ दिया।
शक का कीड़ा जब दिल में घर कर जाता है,
फिर विश्वास का पंछी भी मर जाता है।
शक ने दिल की दीवारों को ऐसे तोड़ा है,
हर खुशी को मेरी आँखों ने छोड़ा है।

तेरे शक की बारिश में, मेरा विश्वास भीग गया,
जो था साफ दिल से, वो भी दागदार हो गया।
शक की राहों पर चलकर, देखो ना दूर तक कोई नहीं,
विश्वास के दीप जलाओ, फिर देखो हर राह रोशनी से भरी।
शक का व्यापार करने वाले, अक्सर खुद से हार जाते हैं,
जो दिल से खेलते हैं, वो जीवन के मेले में अकेले रह जाते हैं।
शक की आंधी में उड़ गया, विश्वास का घरौंदा,
तेरी एक गलतफहमी ने, सब कुछ उजाड़ दिया।
शक की दहलीज पर ना रुको, विश्वास की ओर बढ़ो,
जहाँ दिलों का मिलन हो, वहीं अपना घर बनाओ।
मोहब्बत में ऐसा क्यों होता है,
बेवफाई में वो रोते हैं और वफ़ा में हम रोए हैं।
शक मत करो मेरी मोहब्बत पर
तुम्हारी प्यारी जुबां सुनने पर अड़ी है
एक बार नजरें तो मिलाकर देखो
मेरी आंखें तुम्हारी आंखो पर गड़ी है
दुनिया वालों का भी अजीब दस्तूर है बेवफाई मेहबूब से मिलती है ,
और बेवफा मोहब्बत बन जाती है।
यूँ तो हर शाम उमीदों में गुज़र जाती है
आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया
दिवारे सुन लेती है चीखे मेरी,
बस कुछ अपने बहरे बने बैठे हैं..!!!
इन शायरियों के जरिए हमने शक के उस पहलू को छुआ है जो अक्सर अनकहा रह जाता है। ये शायरियाँ उन सभी के लिए हैं जो शक की गहराइयों में
उतरकर भी, विश्वास की रोशनी में जीना चाहते हैं। अगर ये शक शायरी अच्छी लगे तो इसे जरूर शेयर करे। आपका बहुत बहुत धन्यवाद।